ख़ुशी की तलाश
जीवन में ख़ुशी कहाँ, ख़ुशी में जीवन ढूंढना,
स्थिति अपनी रही, यूँ ही आवारा घूमना I
आवारगी में आबरू बचाना मुश्किल,
क्या बद्दुओं में ख़ुशी मिलती है I
ख़ुशी बेशकीमती, मुंह छुपाये नहीं मिलती,
बिन जुबान को तो, दुआ भी नहीं मिलती I
ख़ुशी तो दिल में होती है, बंद कमरों कि तरह,
सड़क पर धूल में पड़ी भीख नहीं होती I
ख़ुशी तो पाक सौगात है, खैरात नहीं,
लेन-देन दोनों हैं, इक तरफा बात नहीं I
आवारा फिरने से, खाक मिली, राह नहीं,
ढूँढने को सौगात चले, दिल नहीं, कोई चाह नहीं I
राह में चलते गए, हर छोटी ख़ुशी चुनते,
और उन खुशियों की इक झीनी चादर बुनते I
राह की खुशियाँ कभी अपनी नहीं होती,
इनसे जीवन की कमी पूरी नहीं होती I
झीनी चादर ही रूह को गर्म कराती है,
आग की तपिश उसे सहन नहीं होती I
आग की तपिश ही सर्द जिस्म में अच्छी,
रूह की ठंढक क्या तब उष्म नहीं होती I
रूह को कम्पन से ख़ुशी मिलती है,
तन को गर्मी से सुकून मिलता है I
खाक में भी शरारा ढूंढना,
हर ख़ुशी में जीवन मिलता है I
२३/१०/२००२
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