Wednesday, April 11, 2012

पता न था...

पता न था .........
इक लम्बे अरसे में हासिल किया भरोसा टूट जाता है,
इक क्षण में, इक बात से, इक राज़ खुल जाने से I

पता न था .........
मुद्दतों - तन्हाई के बाद मिला यार छूट जाता है,
इक क्षण में, इक अहसास से, इक बार भरोसा टूट जाने से I

पता न था .........
पत्थर के इस दिल के अन्दर भी 'कुछ' टूट जाता है,
इक क्षण में, इस अकेलेपन से, इक यार छूट जाने से I

पता न था ..........
कभी जो न भरा, अश्कों का वो घड़ा फूट जाता है,
इक क्षण में, इक सोच से, इस 'कुछ' के टूट जाने से I

पता न था .......... पता न था ............ I

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