Tuesday, June 22, 2010

मेरा ताज न बना

मेरा ताज न बना I

मैं हुस्न की कोई मूरत नहीं
मैं हूर की कोई सूरत नहीं
मेरा ताज न बना I


मैं किसी शायर  की ग़ज़ल नहीं
मैं किसी कविता की पहल नहीं
मेरा ताज न बना I

तसव्वुर को रंग न मैंने दिया
तरन्नुम को ढंग न मैंने दिया
मेरा ताज न बना I

मैं जो कुछ हूँ, बस तेरे लिए
मेरी हर अदाएं, बस तेरे लिए
मेरा ताज न बना I

हर हसीं लम्हें हैं मेरे, तेरे लिए
मेरे हुस्न सज़दे हैं, तेरे लिए
मेरा ताज न बना I

एक ताज देखा है मैंने बना
वो ताज धोखा सा मुझको लगा
वो तीरे-नज़र दुनिया को यूँ हुआ
हर ग़ज़ल शायरी ने उसको छुआ
पाक दमन हुस्न उसका शरारा हुआ
सरे शाम दुनिया का नज़ारा हुआ
मेरा ताज न बना I

मेरा ताज न बना I

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